November 27, 2024

*अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता*

नारी तू शक्तिस्वरूपा है ,

क्या सही में तू शक्तिशाली है ।

नौ दिन होते बालिकाओं का पूजन ,

बाकी दिन क्यों पूजन नहीं होते हैं ।

नारी तुझसे ही तो दुनिया चलती ,

फिर क्यों तुझे कोख में मारते हैं ।

नारी , तूने ही तो जन्म दिया पुरुषों को ,

फिर भी वो पुरुषों से ही छली जाती है ।

नारी , तू पुरुषों से भी ज्यादा काबिल है,

फिर भी क्यों दहेज की भेंट चढ़ जाती है ।

क्या ये सड़क सिर्फ पुरुषों का है ,

नारियों को सड़क से क्यों उठाया जाता है ।

नारी और पुरुष जिन्दगी के दो पहिये हैं ,

हर पल सिर्फ नारी ही क्यों अपमानित होती है ।

शशि रानी सिंह ,

बरेली

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