November 22, 2024

*नारी -महत्व*

(8 मार्च महिला-दिवस पर)

नारी लेती *जन्म* कि जब,

प्रकृति अपना रुप बढ़ाती है।

प्रकृति अपने *पुरूष-पात्र* को,

जब यहां *अकेला* पाती है।

शक्ति से जब *ललित-भाव* का, *मेल* कराना होता है।

तब अनायास नारी को,

इस *भू-तल* आना होता है।

नारी वह *इतिहास-चित्र,*

जिसमें *जौहर* भी सजते है।

कितने होंगे शेष *पुरूष*,

जो नारी से *बच* सकते हैं।

लेखक रचते *अमर-ग्रंथ,*

पर नारी *लेखक* रचती है।

हर *सफल* पुरूष के पीछे तो,

वह एक *नारी* ही बसती है।।

यदि *युग* का *कल्याण* चाहते हो,

तो नारी को *जाग्रत* होने दो।

जाने दो *युद्धों* की आँधी,

 *शाँति की वर्षा* होने दो।।

 *राज किशोर वाजपेयी”अभय”* 

 *ग्वालियर* *मोबाइल:9425003616*

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