*अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता*
नारी तू शक्तिस्वरूपा है ,
क्या सही में तू शक्तिशाली है ।
नौ दिन होते बालिकाओं का पूजन ,
बाकी दिन क्यों पूजन नहीं होते हैं ।
नारी तुझसे ही तो दुनिया चलती ,
फिर क्यों तुझे कोख में मारते हैं ।
नारी , तूने ही तो जन्म दिया पुरुषों को ,
फिर भी वो पुरुषों से ही छली जाती है ।
नारी , तू पुरुषों से भी ज्यादा काबिल है,
फिर भी क्यों दहेज की भेंट चढ़ जाती है ।
क्या ये सड़क सिर्फ पुरुषों का है ,
नारियों को सड़क से क्यों उठाया जाता है ।
नारी और पुरुष जिन्दगी के दो पहिये हैं ,
हर पल सिर्फ नारी ही क्यों अपमानित होती है ।
शशि रानी सिंह ,
बरेली ।