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१५ हिंदी सेवियों को हिन्दी सेवी सम्मान २०२५ से किया गया सम्मानित।

भारत माता के माथे का श्रृंगार है हिंदी।

भारतमाता के माथे का श्रृंगार है हिंदी।

विश्व हिंदी दिवस पर विचार गोष्ठी सह काव्य गोष्ठी का आयोजन।

१५ हिंदी सेवियों को हिन्दी सेवी सम्मान २०२५ से किया गया सम्मानित।

हिंदी में हस्ताक्षर करने का लिया संकल्प।

भारतीय हिंदी सेवी पंचायत (प्रकल्प: जन दृष्टि व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर शिव पुरम बदायूं में विचार संगोष्ठी सह काव्य गोष्ठी का आयोजन हिंदी और संस्कृत के प्रकांड विद्वान आचार्य प्रताप सिंह की अध्यक्षता में किया गया। बीस देशों में हिंदी की अलख जगा चुकी डॉ कमला महेश्वरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रही। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार अहमद अमजदी और सेवा निवृत बैंक प्रबंधक एवं प्रतिष्ठित समाजसेवी के वी सिंह उपस्थित रहे।

सर्व प्रथम अतिथिगण द्वारा छंदाधिपति गणेश, मां सरस्वती व आदिकवि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प माला अर्पित की गई तदंतर कवियत्री मधु प्रिया चौहान द्वारा गणेश वंदना तथा राजवीर सिंह तरंग द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।

इस अवसर पर आचार्य प्रताप सिंह, डॉ कमला महेश्वरी, डॉ अरविन्द धवल, के वी सिंह, अहमद अमजदी, मनीष प्रेम, राजवीर सिंह तरंग, चन्द्र वीर सिंह, प्रभाकर सक्सेना, शैलेंद्र मिश्र देव, मधु प्रिया चौहान, नगमा शकूर, अनुराधा गुप्ता व आमिर फारूक व रामगोपाल को हिंदी सेवी सम्मान २०२५ से विभूषित करते हुए सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र भेंट किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनों ने आजीवन हिंदी में हस्ताक्षर करने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए भारतीय हिंदी सेवी पंचायत के संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट ने कहा कि जिस भाषा के नेतृत्व में आज़ादी की लड़ाई लड़ी गई, उसे आजादी के पचहत्तर वर्ष बाद भी पूर्ण राजभाषा का सम्मान प्राप्त नहीं हो सका है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४३(२) में एक अस्थायी व्यवस्था के तहत १५ वर्ष के लिए अंग्रेजी में कार्य करने की व्यवस्था दी गई, किंतु इस अस्थाई प्रावधान को नहीं हटाया गया।

दुर्भाग्य का विषय है कि अभी तक भारतीय कानून भारतीय भाषा में नही बनाए जा रहे हैं। हिंदी के उन्नयन के लिए देश के समस्त विश्व विद्यालयो में प्रमुख साहित्यकारों के नाम पर अनिवार्य रूप से हिंदी विभाग की स्थापना हो। प्रत्येक जनपद में हिंदी भवन बनाए जाएं, हिंदी साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिले। शासन और प्रशासन द्वारा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए नीति बने साथ ही निशुल्क चिकित्सा और यात्रा के साथ ही पेंशन की सुविधा भी मिले।

विशिष्ट अतिथि के रूप में काव्यपाठ करते हुए अहमद अमजदी बदायूंनी ने पढ़ा –

हिंदुस्तान में रहने के काबिल नहीं है वह,
हिंदी का जो भी करते हैं अपमान दोस्तो।

राजवीर सिंह तरंग ने पढ़ा –

हिंदी भारत माॅं की बिंदी, सबके मन को भाती है।
मिश्री सा रस मन में घोले, सबको खूब सुहाती है।
आओ हम सब हिंदी बोलें, हिंदी का गुणगान करें-
यह भाषा है मात हमारी, मन गर्वित कर जाती है।

डॉ कमला महेश्वरी ने पढ़ा –

आज विश्व हिंदी दिवस, वाॅंदा ले विस्तार।
वैश्विक भाषा भी बने, हो प्रयास हर बार।।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अरविंद धवल ने पढ़ा –

राम नहीं दिखते भैया में,
सीता दिखे न भाभी में।
ताले तोड़ रहे हैं हम, विश्वास नहीं है चाभी में,
पश्चिम की आंधी में उड़कर,
आज यहाॅं आ पहुॅंचे हैं
हम कस्तूरी ढूॅंढ रहे हैं, अब कुत्तों की नाभि में।

कवियत्री मधु प्रिया चौहान ने पढ़ा –
शब्दकोश समृद्ध बहुत है, भरा हुआ भंडार है
अविरल धारा बहती इसकी होती जय जयकार है
जन जन की है प्यारी, हिंदी ही स्वरगान है
हिंदी से पहचान हमारी, यह मेरा अभिमान है।।

शैलेंद्र मिश्र देव ने पढ़ा –

जो समझ बस दूसरों का दिल दुखाती हो,
उस समझ से यार हम तो नासमझ अच्छे।

कवियत्री नगमा शकूर ने पढ़ा –

भारत माॅं के माथे का श्रृंगार है हिंदी,
आन हमारी शान हमारी और भारत का अभिमान है हिंदी।
अलग हमारे मज़हब है और अलग हमारी भाषाएं।
जिसने सबको प्यार से बांधा ऐसी मधुर हमारी भाषा है हिंदी।

कवियत्री अनुराधा गुप्ता ने पढ़ा –

आया कलयुग आज राम की पुकार है,
बढ़ रहा चहुंओर भीषण अत्याचार है।

शिक्षक व कवि प्रभाकर सक्सेना ने पढ़ा –

राष्ट्र को पिरोती है एकता के सूत्र में,
वो एकमात्र भाषा, हमारी यह जो हिंदी।
जन-जन का यही अरमान,
होवे अब पूर्ण मांग,
राज्य नहीं राष्ट्र की अब भाषा बने हिंदी।

शिक्षक चन्द्र वीर सिंह ने पढ़ा –

हिंदी हमारी आन है, हिंदी हमारी शान है।
हिंदी हमारी चेतना, वाणी का वरदान है।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से मार्गदर्शक धनपाल सिंह संरक्षक एमएल गुप्ता, सुरेश पाल सिंह, प्यारे लाल, केन्द्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल, ज्ञानदीप शर्मा, नेत्रपाल , विकास कुमार, सुशील कुमार सिंह आदि की सहभागिता रही।

कार्यक्रम का संचालन भारतीय हिंदी सेवी पंचायत के संयोजक राजवीर सिंह तरंग ने किया तथा संरक्षक एम एल गुप्ता ने आभार व्यक्त किया।

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