December 25, 2024

राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस पर संगोष्ठी आयोजित

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के लोक उपयोगी प्रावधानों को क्रियाशील बनाने की जरूरत।

तहसील मुख्यालयों पर स्थापित हो उपभोक्ता अदालतें।

निष्क्रिय हैं जिला, राज्य और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद।

राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी बनाए जाने हेतु एक संगोष्ठी का आयोजन मालवीय आवास गृह पर मार्गदर्शक एम एल गुप्ता की अध्यक्षता में किया गया। मंडल समन्वयक एम एच कादरी ने राष्ट्र राग ” रघुपति राघव राजाराम ……” का कीर्तन कराया तत्पश्चात् भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया गया। जिला समन्वयक आर्येंद्र पाल सिंह ने ध्येय गीत ” जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो।” प्रस्तुत किया गया।

तत्पश्चात् उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानो को क्रियाशील बनाने की मांग को लेकर पांच सूत्रीय मांग पत्र राष्ट्रपति और राज्यपाल को प्रेषित किया गया।

इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठोड़ एडवोकेट ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता के अधिकारों के संरक्षण की व्यवस्था दी गई है। उपभोक्ताओं के छ अधिकार निर्धारित किए गए हैं जिनमें उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार भी सम्मिलित है।

देश का प्रत्येक नागारिक उपभोक्ता है, किंतु उन्हें उपभोक्ता कानूनों से परिचित कराए जाने हेतु प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जनपदों में जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद अब तक गठित नहीं की गई है। राज्य और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद भी क्रियाशील नहीं हैं। भारत में वर्ष १९८६ में सर्वप्रथम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बना किंतु अभी तक मूल्य निर्धारण और मूल्य नियंत्रण प्रणाली विकसित नहीं हो सकी है। उपभोक्ता को बिल प्राप्त नहीं होते है।

संगोष्ठी में में मार्गदर्शक धनपाल सिंह, संरक्षक एम एल गुप्ता, सुरेश पाल सिंह चौहान, डॉ सुशील कुमार सिंह, केंद्रीय कार्यालय प्रभारी राम गोपाल , प्रदेश समन्वयक सतेंद्र सिंह गहलौत , मंडल समन्वयक एम एच कादरी , जिला समन्वयक आर्येंद्र पाल सिंह, सह जिला समन्वयक महेश चंद्र, राम लखन, तहसील समन्वयक विपिन कुमार सिंह एडवोकेट, विनोद गुप्ता, नेत्रपाल, सोमवीर, सुनील, सुभाष पुरी, अजब सिंह आदि की सहभागिता रही।

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