वाराणसी महानगर के बरेका. प्रांगण में काशी साहित्यिक संस्थान के तत्वावधान में लेखिका सुनीता जौहरी के प्रमुख संयोजन में, सुप्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती मणिबेन द्विवेदी के अध्यक्षता में, कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के संचालन में प्रमुख अतिथि द्वय कवि अखलाक भारती एवं आलोक सिंह बेताब के गरिमामयी उपस्थिति में काशी साहित्य सारथी एवं काशी साहित्य गौरव सम्मान तथा काशी साहित्य कीर्ति सम्मान 2022 से भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से उपस्थित रचनाकारों को सम्मानित किया गया,ये रचनाकार वे हैं जो काशी साहित्यिक संस्थान की तरफ से आयोजित लेखन प्रतियोगिता में अपनी लेखन क्षमता के बल पर इस सम्मान पर अपना ससम्मान हक पाया ।
जिनमें कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक,मणिबेन द्विवेदी, वर्तिका अग्रवाल वरदा, ममता तिवारी, स्नेहलता पाण्डेय,रेखा सुनील चौरसिया, अरविंद भारत, संतोष कुमार यादव मन,दीपक यादव दीप, अब्दुल कासिम अब्बासी समर ,पवन कुमार सिंह एडवोकेट, मुकेश पाण्डेय ,डॉ.माधवी मिश्रा शुचि, मौसमी चंद्रा, अर्जुन गुप्ता गुंजन , विजय कुमार, राजेश कुमार मंगला, डी.आर.महतो मनु, पवन कुमार भारद्वाज, जय प्रकाश तिवारी, राजेश श्रीवास्तव राज, आमलपुरें सूर्यकांत विश्वनाथ, रामचन्द्रर स्वामी, रश्मि सिन्हा, गीता देवी, सुनीता शर्मा, गुरुदास प्रजापति, नीलम सिंह, आदि सहित अनेकों लोगों को मंचीय कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया।
स्वागत संबोधन वर्तिका अग्रवाल वरदा ने किया। अध्यक्षीय संबोधन करते हुए मणिबेन द्विवेदी-ने कहा कि काशी साहित्यिक संस्थान के प्रथम आयोजन में
ही हिन्दी – हिन्दुस्तान के लिए, सर्वधर्म – समभाव के लिए उपस्थित रचनाकारों ने जो बहुमुखी राग अलापा काबिले तारीफ़ थी। मैं भारत सरकार से आज के आयोजन में सहभागी समस्त रचनाकारों की तरफ से आह्वान कर रही हूं कि हिन्दी को हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा यथा शीघ्र घोषित किया जाय। धन्यवाद आभार व्यक्त करते हुए प्रमुख संयोजिका एवं संस्थापिका ने समस्त रचनाकारों को शुभकामनाएं दी और अगले आयोजन में फिर से मिलने की आशा व्यक्त की तथा हिन्दी की मर्यादा बनाए रखने का आह्वान करते हुए सबके प्रति आभार व्यक्त किया।