November 22, 2024

 

 

सुन्दर, मोहक और सजीला, है माता तेरा रूप।

जो ध्वाये माँ तुमको मन से, ना उसे सताती गम की धूप।।

 

दस भुजाओं वाली माँ, तेरा वाहन सिंह सवारी है।

हर विपदा को हरने वाली, तेरी महिमा बड़ी ही प्यारी है।।

दैत्य- दानव भी काँपते माता,

नाम तेरा बस लेने से।

मन – कर्म – वचन शुद्ध हो जाता,

माँ तेरा सुमिरन करने से।।

 

माथे पे अर्धचंद्र विराजे, इसीलिए चंद्रघंटा कहलायीं तुम।

महिषासुर के मर्दन खातिर, त्रिदेव के मुख से जाई तुम।।

सुर- नर- मुनि सब , माँ सुमिरन करते।

भाव-भक्ति से निशिदिन, तुमको भजते।।

 

आदिशक्ति रूपा महारानी,

कर दो कृपा ओ माँ कल्यानी।।

 

त्रुटियों को मेरी क्षमा करो।

अज्ञानी हैं माँ दया करो।।….

 

(स्वरचित: संध्या मिश्रा)

(पीथमपुर, महु, इंदौर, म.प्र.)

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