November 22, 2024

 

 

 गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय बदायूं में आज दिनांक 11जुलाई 2022 को आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई० क्यू०ए०सी०) के तत्वावधान में कार्यक्रम संयोजिका मिशन शक्ति प्रभारी असि० प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती के निर्देशन एवं नेतृत्व में व प्राचार्या प्रोफेसर वंदना शर्मा के संरक्षण में महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन हेतु चलाए जा रहे “मिशन शक्ति फेज-04″ विशेष अभियान” के तहत ” विश्व जनसंख्या दिवस पर “उन्नत परिवार के सृजन में नारी शक्ति की भूमिका” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसके तहत परिवार में सदस्यों के व्यक्तित्व निर्माण, चारित्रिक विकास, सांस्कृतिक एवं नैतिक मूल्यों के विकास में नारी शक्ति की अहम भूमिका पर विस्तृत चर्चा-परिचर्चा की गई।

 कार्यक्रम का शुभारंभ उपप्राचार्या डॉ० गार्गी बुलबुल की अध्यक्षता में माँ शारदे को नमन् कर किया गया।

 छात्राओं को संबोधित करते हुए कार्यक्रम संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती ने कहा कि नारी को परिवार निर्माण की धुरी कहा जाता है क्योंकि परिवार का सम्पूर्ण अस्तित्व एवं वातावरण उसी पर निर्भर करता है। वह विविध सांस्कृतिक परंपराओं, संस्थाओं की पोषक रक्षक तथा प्रसारक है। इसीलिए उसे परिवार का हृदय एवं प्राण भी कहा गया है। भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़े रहना एवं विचारों को आगे आने वाली पीढ़ियों में समावेशित करना इनका प्रमुख कर्तव्य है। आज महिलाए भारतीय संस्कृति व संस्कारों को परिवार व युवा पीढ़ी के बीच संजोये रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। महिलाएं कहीं ममता भरी मां है, तो कहीं प्रेम स्वरूपा पत्नी बन पुरुष के जीवन का श्रृंगार है।

 नारी की इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति और यथाशक्ति समाज व राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती है और सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनती है।

उप प्राचार्या डॉ गार्गी बुलबुल ने बताया कि नारी में सृजन शक्ति है और उस सृजन से वह परिवार समाज व देश का निर्माण करने में सक्षम है। नारी जन्मदात्राी है। समाज का प्रत्येक भावी सदस्य उसकी गोद में पलकर संसार में खड़ा होता है। उसके स्तन का अमृत पीकर पुष्ट होता है। माँ की हंसी से हंसना और माँ की वाणी से बोलना सीखता है। उसके स्नेह के जल से सींचकर पोषित होता है और उसी से अच्छे-बुरे संस्कार लेकर अपने जीवन की दिशा बनाता है।इसीलिए भारतीय परिवारों में मां की बहुत महत्ता है। डॉ श्रद्धा यादव ने कहा कि

नारियां रंग और रूप में कैसी भी हो,वो चाहे तो झोपड़ी को स्वर्ग बना सकती हैं और साधारण परिस्थितियों को भी हर्ष और उल्लास से भर सकती हैं। डॉ शिखा पाण्डे ने बताया किपरिवार के लिए नारी शक्ति स्वरूपा है। घर-परिवार का पूरा वातावरण उसी के आचरण पर निर्भर करता है।डॉ वंदना वर्मा ने कहा कि नारी जन्मदात्राी है। बच्चों का प्रजनन ही नहीं, पालन-पोषण भी उसके हाथ में है।डॉ निशी अवस्थी ने कहा कि माता के द्वारा बच्चों को जो संस्कार बचपन में दिए जाते हैं वे जीवन भर उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं। डॉ उमा सिंह गौर ने बताया कि घर प्रथम पाठशाला है बालक के लिए और माता उसकी प्रथम शिक्षक है।

 कार्यक्रम संयोजिका असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी,डॉ गार्गी बुलबुल,डॉ श्रद्धा, डॉ शिखा, डॉ अनीता, डॉ इति अधिकारी,डॉ वंदना, डॉ उमा सिह डॉ निशी अवस्थी आदि ने अपने अपने विचार रखे।छात्राओं में राजकुमारी, सौम्या, पूनम, शिवांगी, पलक वर्मा आदि की सक्रिय सहभागिता रही। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन मिशन शक्ति प्रभारी असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती ने किया।

असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती

मिशन शक्ति प्रभारी/कॉर्डिनेटर आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई० क्यू०ए०सी०) गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय बदायूं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *