November 6, 2024

आदर्श शिक्षक सम्मान 2023 के पटल को नमन

**महिला दिवस पर स्वरचित कविता**

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मैं आधुनिक नारी हूं!

सशक्त हूँ तृष्णाओं से परे हूँ !

तभी तो घर को स्वर्ग बनाती हूँ !आदर्श नारी कहलाती हूँ।

घर की देवी कहलाती हूँ ॥

 जगाकर ओज की ज्वाला

संस्कारों से सजी हुई!

मैं मर्यादा के गहनों से देह को सजाती हूँ ॥

अपनत्व के पुष्पों से रिश्तों को संवारती

प्रकृति के सानिध्य में जीवन को सुखद बनाती हूँ ॥

 घर के कलह क्लेशों को तिनके सा उड़ा देतीं हूँ।

मैंने जीवन के संघर्षो में तपकर खुद को कंचन बनाया है

कोई उपहास उड़ाये ,मैं बचकर निकल जाती हूँ ॥

योग ध्यान कलाओं से आत्मविश्वास जगा

ईश् वंदना कर खुद को पवित्र बनातीहूँ ॥

छोटों को आशीर्वाद दे , बड़ों को चरण स्पर्श करती हूँ।

 आधुनिकता से परिपूर्ण हूँ अंध विश्वास से दूर

विधि सम्मत कर्म कर खुद के नियम बनाती हूँ ॥

मैं अबला नहीँ सबला हूँ ये भाव जगाती हूँ ॥

मैं तलवार ना चलाऊं तो क्या?

ज्ञान की धार से विकारों को काटती चरित्र को उच्च रख गर्व से शिक्षिका कहलाती हूं॥

साभार -श्रीमती पल्लवी शर्मा

राजकला पी डी ए गर्ल्स इ का मुरादाबाद

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