नारी…..
हर काम पर सब पर भारी
फिर भी बेचारी,
घर गृहस्थी या नौकरी
कहीं न करती मक्कारी
फिर भी बेचारी,
सबका ध्यान ये रखती
पर कभी न आई खुद की बारी
फिर भी बेचारी।
नारी …
बस बहुत हो गया
उठो
अब खुद के लिए भी जीना सीखो,
अपनी जगह स्वयं बनाकर,
स्वाभिमान से रहना सीखो,
घर हो या बाहर,
अपनी बातें कहना सीखो ,
थोड़ा सा खुश रहना सीखो,
अब ना रहो बेचारी
क्योंकि नारी सबसे प्यारी
विनीता जायसवाल
उच्च प्राथमिक विद्यालय
पैसार देहात
ब्लॉक बंकी बाराबंकी