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वर्षों से बदायूं में जमे उपायुक्त मनरेगा कानून के उल्लंघन के हैं अभ्यस्त।

सूचना का अधिकार अधिनियम और नियमावली की कर रहे हैं अवहेलना।

सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हुए सूचना/ सामाजिक कार्यकर्ता हरि प्रताप सिंह राठोड़ एडवोकेट ने 24 मई 2022 को उपायुक्त मनरेगा बदायूं के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन प्रेषित कर निम्न सुचनाएं मांगी :-

1- बदायूं जनपद में अब तक मनरेगा योजना के अन्तर्गत निर्मित/ जीर्णोद्धार कराए गए तालाबों से सम्बन्धित समस्त विवरण उपलब्ध कराए।
2- मनरेगा योजना के अन्तर्गत ऐसे जाबकार्ड धारक जिन्हें अब तक वर्ष में 100 दिन रोजगार प्राप्त हुआ, उनकी वर्षवार, ग्राम पंचायत वार सूची उपलब्ध कराए।

स्वभाव अनुसार उपायुक्त मनरेगा द्वारा वांछित सुचनाएं निर्धारित अवधि में उपलब्ध नहीं कराई गई बल्कि अति विलम्ब से पत्र संख्या 974 दिनांक 18- 07- 2022 को डाक के द्वारा प्रेषित किया गया, जबकि पत्र पर दिनांक 16-07-2022 अंकित की गई। इस पत्र के माध्यम से सुचनाएं प्रेषित न करके सूझाव प्रेषित किया गया, पत्र के माध्यम से सुझाई गए पोर्टल पर वांछित सुचनाएं उपलब्ध नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त पत्र निर्धारित प्रारूप पर भी नहीं है। जिससे स्पष्ट है कि उपायुक्त मनरेगा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एवम उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली 2015 का भ्रष्ट कृत्यों को छिपाने के उद्देश्य से पालन नहीं कर रहे हैं।

निर्धारित अवधि में सूचना प्रेषित न किए जाने पर विवश होकर प्रथम अपील दिनांक 01- 08- 2022 को मुख्य विकास अधिकारी बदायूं के समक्ष प्रथम अपील प्रस्तुत की गई, किंतु अभी तक वांछित सूचनाएं प्रदान नहीं की गई हैं।

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जन दृष्टि - व्यवस्था सुधार मिशन

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