अनुच्छेद ३३९(२) व ३४८ के होते हुए पूर्ण राजभाषा नही बन सकेगी हिंदी।
राष्ट्र कवि और राष्ट्रीय कवियत्री घोषित किए जाने की सरकार बनाए व्यवस्था।
अन्य भाषाओं के शब्दों को आत्मसात करने की सामर्थ्य के कारण ही हिंदी बनी वैश्विक भाषा।
भारतीय हिंदी सेवी पंचायत के तत्वावधान मे शिवपुरम बदायूं स्थिति डॉ सुशील कुमार सिंह के कार्यालय पर राष्ट्रीय हिंदी दिवस के अवसर पर सांयकाल एक विचार सह काव्य गोष्ठी का आयोजन प्रसिद्ध शिक्षाविद आचार्य प्रताप सिंह की अध्यक्षता में पूर्व उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार सिंह के मुख्य आतिथ्य में किया गया।
अतिथिगण द्वारा मां सरस्वती व आदि कवि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित करके विचार सह काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया गया। तदांतर अतिथिगण व उपस्थित कवि गण को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
सर्व प्रथम कवियत्री मधु प्रिया चौहान ने गणेश वन्दना व सरस्वती वन्दना का पाठ किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रसिद्ध शिक्षाविद आचार्य प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा और राजभाषा है। हिंदी का वृहद शब्दकोश व अन्य भाषाओं के शब्दों को अपने में आत्मसात कर लेने की विशेषता ने हिंदी को वैश्विक भाषा बनाया है। भारतीय हिंदी सेवी पंचायत द्वारा हिंदी के उन्नयन एवम हिंदी सेवियों के कल्याण के लिए प्रति माह इस तरह के आयोजन एक सराहनीय प्रयास है।
मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए पूर्व उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि हिंदी के उत्थान के लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भारत सरकार एक दशक में एक राष्ट्र कवि की घोषणा करें साथ ही डॉ सुभद्रा कुमारी चौहान को देश की प्रथम राष्ट्रीय कवियत्री घोषित करने के साथ ही महिला साहित्यकारों को भी बढ़ावा देने के लिए नीति बनाई जाए।
मुख्य वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करते हुए जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट ने कहा कि भारतीय हिंदी सेवी पंचायत जन दृष्टि व्यवस्था सुधार मिशन का ही अंग है। वर्ष २०१९ में दस सूत्रीय कार्यक्रम को लेकर भारतीय हिंदी सेवी पंचायत की स्थापना हुई। केन्द्र व राज्य सरकार ने पंचायत द्वारा उठाए गए कई विषयों पर कार्य किया है। हिंदी को पूर्ण प्रतिष्ठा दिलाने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन की आवश्यकता है।अंग्रेजी को पंद्रह वर्ष के लिए अस्थाई राजभाषा की मान्यता देने वाले अनुच्छेद ३३९ के खण्ड दो को समाप्त किए जाने की आवश्यकता है साथ ही अनुच्छेद ३४८ को भी समाप्त किया जाना चाहिए जिसके द्वारा उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, संसद, विधान सभा की कार्यवाही, सभी विधेयक, शासनादेश आदि अंग्रेजी भाषा में होने की बाध्यता की गई है।
कवि शैलेंद्र देव मिश्र ने काव्यपाठ करते हुए कहा –
हिन्दी का महत्व आप , इंग्लिश में बता रहे,
ऐसे हिंदी प्रेम को भी, दिल से प्रणाम है।
करते प्रचार खूब , हिन्दी का प्रयोग करें,
भेजें पत्र इंग्लिश में, इंग्लिश में लिखा नाम है।
मधु प्रिया चौहान ने हिंदी को समर्पित गीत पढा –
जन जन की है प्यारी भाषा,हिंदी ही स्वर गान है।
हिंदी से पहचान हमारी, यह मेरा अभिमान है।।
विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप से जन दृष्टि व्यवस्था सुधार मिशन के संरक्षक एम एल गुप्ता, आचार्य प्रताप सिंह, डॉ एस के सिंह, डॉ सुशील कुमार सिंह, एम एच कादरी, सुरेश पाल सिंह चौहान, शैलेंद्र देव मिश्र, मधु प्रिया चौहान, प्यारेलाल, कौशल कुमार एडवोकेट, धारा सिंह, आदि की सहभागिता रही।