राष्ट्रीय पञ्चायत राज दिवस के अवसर पर संगोष्ठी आयोजित।
पञ्चायत राज व्यवस्था को दुर्बल बना रहे हैं भ्रष्ट तत्व।
सूचना /सामाजिक कार्यकर्ता सौ दिन करेंगे पंचायतों की निगरानी।
पदाधिकारियों को सम्मानित कर बनाई सौ दिन की कार्य योजना।
राष्ट्रीय पञ्चायत राज दिवस के अवसर पर जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान में संगठन के शिव पुरम बदायूं स्थित मुख्यालय पर “”पञ्चायत राज व्यवस्था को सुदृढ बनाने में सूचना/ सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका “” विषयक संगोष्ठी का आयोजन संरक्षक एम एल गुप्ता की अध्यक्षता में किया गया। सर्वप्रथम राष्ट्र राग “”रघुपति राघव राजाराम…..”” का कीर्तन किया गया तत्पश्चात ध्येय गीत “” जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो…..”” का सामूहिक गायन किया गया।
संगोष्ठी के पश्चात पन्द्रह सूत्रीय मांग पत्र राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवम पंचायत राज मंत्री, उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास व पंचायत राज मंत्री को जिलाधिकारी बदायूं का माध्यम से प्रेषित किए गए।
इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/ संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट ने कहा कि सत्ता का विकेंद्रीकरण करते हुए व्यवस्था में जन भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु नीति नियंताओं द्वारा पंचायती राज की परिकल्पना की गई। देश की संसद की तरह, राज्य विधानसभाओं की तरह गांव की संसद की कल्पना की गई। भ्रष्ट तत्वों द्वारा पंचायत राज व्यवस्था को निष्क्रिय कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया। पंचायतें अयोग्य और अक्षम प्रतिनिधियों को सौंप दी गई। दुर्भाग्य का विषय है कि अधिकांश पंचायत प्रतिनिधि गांव में निवास नही कर रहे हैं।
ग्राम पंचायतों के अपने कार्यालय नहीं है, सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत अधिकारी व लेखपाल की नियुक्ति नहीं की गई है, सभी ग्राम पंचायतों में उत्तर प्रदेश पंचायत राज नियमावली के नियम 63 में वर्णित अभिलेख उपलब्ध नहीं है , पंचायत राज अधिनियम में दी गई व्यवस्था के अनुसार ग्राम पंचायत की बैठकें नियमित रूप से आयोजित नहीं की जाती है, पंचायत राज अधिनियम में दी गई व्यवस्था अनुसार गठित आधा दर्जन समितियां ग्राम पंचायतों में सक्रिय नहीं हैं , ग्राम पंचायतों में कराये गये विकास कार्यों का विवरण सार्वजनिक स्थानों पर अंकित नहीं किया जाता है, ग्राम पंचायत में नियुक्त सफाई कर्मी सफाई कार्य न करके है किसी नेता या अधिकारी के यहां सेवा दे रहे है।
राजस्व सन्हिता में दी गई व्यवस्था के अनुसार ग्राम पंचायतों में ग्राम राजस्व समितियों का गठन नहीं किया गया है , राशन की निगरानी हेतु गांवों में सतर्कता समिति गठित नहीं की गई है, महिला प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके निकट सम्बन्धी कार्य कर रहे हैं। जिस अनुपात में महिला प्रतिनिधि चुने जाते हैं,उस अनुपात में महिला अधिकारियों व कार्मिकों की नियुक्ति नहीं की गई है। रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के अंतर्गत प्रतिवर्ष कितने लोगों को सौ दिन रोजगार मिला उनकी सूची प्रति वर्ष सार्वजनिक की जाए। संसद व विधानसभा की कार्यवाही आम जनता देख सकती है तो ग्राम पंचायत की कार्यवाही देखने का अधिकार आम नागरिकों को मिले।
प्रदेश समन्वयक डॉ सुशील कुमार सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायतों में विकास योजनाओं व विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी ब्लाक की है । ब्लाक में खन्ड विकास अधिकारी नहीं। ब्लाक में सहायक विकास अधिकारी नहीं हैं, ब्लाक में अवर अभियंता नहीं, ब्लाक में प्रधान लिपिक नहीं, ब्लाक में आन्किक सहित अन्य लिपिक नहीं, ब्लाक में कर्मचारियों को बने आवास खन्डहर हो गये हैं। इसी प्रकार तहसीलों में तहसीलदार, नायब तहसीलदार , राजस्व निरीक्षक और लेखपाल के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। दोषपूर्ण चुनाव व्यवस्था व दूषित मतदाता सूची के कारण अधिकांश पंचायते नगरों में निवास करने वाले व्यक्तियों के नियंत्रण में हैं।
केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल ने कहा कि सूचना/ सामाजिक कार्यकर्ता प्रति सप्ताह एक सूचना मांगकर व जनसुनवाई पोर्टल पर एक शिकायत दर्ज कराकर पञ्चायत राज व्यवस्था को सुदृढ बनाने का कार्य करेगे।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से मार्गदर्शक धनपाल सिंह, संरक्षक एम एल गुप्ता, एच एन सिंह, सुरेश पाल सिंह चौहान, केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल, सह केन्द्रीय कार्यालय प्रभारी अखिलेश सिंह, प्रदेश समन्वयक डॉ सुशील कुमार सिंह, मंडल समन्वयक एम एच कादरी, जिला समन्वयक सतेंद्र सिंह गहलौत, सह जिला समन्वयक महेश चंद्र, तहसील समन्वयक सहसवान आर्येंद्र पाल सिंह, तहसील समन्वयक बिसौली विपिन कुमार सिंह, तहसील समन्वयक बदायूं राम लखन , नेत्रपाल, प्यारे लाल, दयाराम, टीकम सिंह, सोमवीर, बिनोद गुप्ता, शिव चंद्र सिंह, पुष्पेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।