*सृष्टि की रचना महिलाएं सिर्फ शक्ल और ज़िस्म से ही*
*खूबसूरत नहीं होती,,*
*बल्कि वो इसलिए भी खूबसूरत होती हैं,।*
*क्योंकि प्यार में ठुकराने के बाद भी…*
*किसी लड़के पर तेजाब नहीं फेंकती !*
*उनकी वज़ह से कोई लड़का*
*दहेज़ में प्रताड़ित हो कर फांसी नहीं लगाता !*
*वो इसलिए भी खूबरसूरत होती हैं,,*
*कि उनकी वजह से किसी लड़के को*
*रास्ता नही बदलना पड़ता!*
*वो राह चलते लड़को पर*
*अभद्र टिप्पड़ियां नही करती!*
*वो इसलिए भी खूबसूरत होती हैं,,*
*कि देर से घर आने वाले पति पर*
*शक नही करती,,*
*बल्कि फ़िक्र करती है!*
*वो छोटी छोटी बातों पर*
*गुस्सा नही होती,*
*सामान नही पटकती,*
*हाथ नही उठाती,*
*बल्कि पार्टनर को समझाने की,*
*भरपूर कोशिश करती हैं !*
*वो जुर्म सह कर भी*
*रिश्ते इसलिए निभा जाती हैं,,*
*क्योंकि वो अपने बूढ़े माँ बाप का*
*दिल नही तोड़ना चाहती !*
*वो हालात से समझौता*
*इसलिए भी कर जाती हैं,*
*क्योंकि उन्हें अपने बच्चों के*
*उज्ज्वल भविष्य की फ़िक्र होती है !*
*वो रिश्तों में जीना चाहती हैं !*
*रिश्ते निभाना चाहती हैं !*
*रिश्तों को अपनाना चाहती हैं!*
*दिलों को जीतना चाहती हैं !*
*प्यार पाना चाहती हैं !*
*प्यार देना चाहती हैं !.*
*हमसफ़र, हमकदम बनाना चाहती हैं!!*
*आज महिला दिवस पर सम्पूर्ण*
*मातृशक्ति को कोटि कोटि प्रणाम*
स्वरचित रचना
दिव्या अग्रवाल- बरेली, उ.प्र.