November 23, 2024

उमंग सुनहरा कल के कार्यालय हरदोई में स्व0 कैलाश नारायण की 83 वें जन्मदिवस की स्मृति में काव्यांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन धरनीरमन दीक्षित, आशुतोष दीक्षित, अभिनव दीक्षित व संयोजन सतीश चंद्र शुक्ल एवं करुणेश दीक्षित के संचालन में कवियों व कवयित्रियो ने काव्यपाठ कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

कवि विपिन त्रिपाठी ने ‘भारती की आरती का गान होना चाहिए’ रचना पढ़ी । शायर श्रवण मिश्र राही ने ‘इस जीवन मे अपनो से जो प्यार मिला यह क्या कम है, जिनकी दुआ से एक नया संसार मिला यह क्या कम है’ पढ़कर वाह वाही लूटी। वरिष्ठ कवि डॉ निशानाथ अवस्थी निशंक ने स्वच्छ रहे परिवेश हमारा यह स्थायी भाव बने, पर्यावरण रहे सरंक्षित सबका यही स्वभाव बने’ समसामयिक रचना समर्पित की । वहीं गीतकार करुणेश दीक्षित सरल ने ‘ जाते नही भँवरे कभी बाग में प्रेम सुधा यदि पानी न होती, मोह नहीं करता कभी कोई कली खिल के जो सयानी न होती ‘ पढ़कर समां बांधा। कवि शोभित तोमर ने “जीत ले चाहे सिकन्दर विश्व के सारे किले,पर कभी पोरस किसी के सामने झुकता नही” ओज पढ़ा।

कवि उदय राज सिंह “उदय”ने वंदन उनका जिनके बल पर साहित्य कुम्भ स्थापित है, पूज्य प्रेणता शाश्वत सबकी स्मृतियों में दीक्षित है’ पढ़कर श्रद्धांजलि दी। कवियित्री अलकाकृति ने ‘तुम हो कंचन महल, मैं तेरी वाटिका, तुम हो आराध्य तो मैं तेरी साधिका’ छंन्द पढा। गीतकार धीरज चित्रांश ने उम्र भर डरता रहा मैं एक पत्ते की तरह ही, पेड़ मुझको छोड़ देगा तब भला मैं क्या करूंगा’ शानदार गीत सुनाया। श्याम त्रिवेदी पंकज ने ‘इज्जत की ठेकेदारी हो जब मुजरा करने वालों की,यारों खुद्दारों की भाषा तब बागी हो जाती है,पढ़कर देशभक्ति की अलख जगाई। गीतेश दीक्षित ने मुझको मजबूरियां ले तो आयी शहर गांव की याद हमको रुलाती रही’ गांव को याद करते हुए गीत पढा। वही सरल शुक्ल सुनामी ने गजब दस्तूर है यहां संसार के सभी भूखे यहां बस अधिकार के’ पंक्तियाँ पढ़कर खूब तालियां बटोरी। हास्य कवि सतीश शुक्ल ने ‘ मस्त मौसमी मिज़ाज़ बात और है, बुढ़िया जो मुस्कराई तौ समझौ बसंत है’ पढ़कर खूब हंसाया।

अरविंद कुमार मिश्रा ने ‘ तुम्हारे इल्म का जादू अगर तोड़ा गया होता, न जाने कौन अपने बीच की दीवार बन जाता’ पंक्तियाँ पढ़ी। ओज कवि राजेश बाबू अवस्थी जी ने पढ़ा जिनके मन मन्दिर में झांकी भारत माँ की छाई है,रण वीरों से भरी पड़ी इस भारत की अंगनाई है।’पढ़कर सदन गुंजायमान कर दिया। मंच द्वारा सभी कवि कवियों को स्मृति चिन्ह व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। अंत मे कार्यक्रम का समापन सभी के द्वारा मौन रखकर किया गया।

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