आर टी आई एक्ट की आत्मा है धारा 8(1)जे ।
प्रस्तावित विधेयक पर व्यापक चर्चा की जरूरत।
द डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 की धारा 30(2) के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1) जे मे प्रस्तावित संशोधन को लेकर जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/ संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठोड़ एडवोकेट ने सिविल बार परिसर बदायूं में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के संस्थापक/ अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह राठोड़ एडवोकेट ने कहा कि जिस प्रकार भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान की आत्मा है उसी प्रकार धारा 8(1) जे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की आत्मा है। भारत सरकार द्वारा द डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के वर्तमान प्रारूप द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 मे प्रस्तावित संशोधन से सूचना का अधिकार अधिनियम निष्प्राण हो जायेगा। हमारा संविधान नागरिकों को सर्वोच्चता प्रदान करता है, किंतु वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(1) जे के द्वारा नागरिकों को सच्चे अर्थों में सर्वोच्चता प्राप्त हुई। नागरिकों को अभी भी सूचना प्राप्त करने में दो से पांच वर्ष का समय लग जाता है। इस संशोधन से सूचना मिलना ही बंद हो जायेगी। सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल पर राष्ट्रव्यापी बहस की आवश्यकता है ताकि इस कानून की व सुचना का अधिकार अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन की उपयोगिता सिद्ध हो सके।
श्री राठोड़ ने कहा कि वर्ष 2014 में व्यवस्था सुधार हेतु सत्ता परिवर्तन मे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की बड़ी भूमिका रही है। आवश्यकता सूचना कानून को मजबूत बनाने की है किंतु इसे दुर्बल बनाने का कार्य किया जा रहा है। प्रस्तावित संशोधन से देश में नागरिक नहीं बल्कि लोकसेवक सर्वोच्च बनेगा। हमारा नीति नियंताओं से आग्रह है कि वे सूचना का अधिकार अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन को तत्काल बापस लें। प्रस्तावित संशोधन के विरुद्ध राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व लोक सभा अध्यक्ष को सूचना सामाजिक कार्यकर्ताओं व नागरिक संगठनों द्वारा ईमेल, ट्विटर, पोर्टल, डाक एवम् तहसील/ जिला स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से पत्र प्रेषित किए जायेगे।
इस अवसर पर मार्गदर्शक धनपाल सिंह, संरक्षक एम एल गुप्ता, केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल, सह केन्द्रीय कार्यालय प्रभारी अखिलेश सिंह व मंडल समन्वयक एम एच कादरी उपस्थित रहे।