३० अक्टूवर को चार मासूमों की मौत से जनपद शोकमग्न हो गया। किसी ने घटना के लिए सड़क किनारे जल जीवन मिशन द्वारा खोदे गए गढ्ढे को ज़िम्मेदार माना, किसी ने वैन में क्षमता से कई गुना बच्चे बैठाने को ज़िम्मेदार माना, किसी ने स्कूल बस की तेज स्पीड को जिम्मेदार माना। जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मृतकों और घायलों के प्रति संवेदना प्रदर्शित की गई। मीडिया द्वारा कई दिन तक निरन्तर इस घटना को स्थान दिया गया। किन्तु मृतकों और घायलों को शासन की ओर से आर्थिक सहायता की घोषणा नहीं हुई, कई सामाजिक संगठनों द्वारा भी आर्थिक सहायता दिलाए जाने हेतु मांगपत्र प्रेषित किए गए।
प्रदेश में शासन द्वारा इस तरह की दुर्घटनाओं में पीड़ितो को आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। कई हत्याकांडों में भी आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। किंतु बदायूं की इस हृदय विदारक घटना के पीड़ितो को शासन द्वारा आर्थिक सहायता की घोषणा न होने से नागरिकों में तरह तरह की चर्चाएं हैं। हालांकि कई विभाग दुर्घटना के बाद से सक्रिय हो गए हैं, खंड शिक्षा अधिकारी गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को नोटिस जारी कर रहा है, तो जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा विद्यालयों के मानकों के सम्बन्ध में आख्या मांगी गई है, एआरटीओ विद्यालय वाहनों की जांच मे लग गए हैं, किंतु ये सक्रियता सदैव बनी रहेगी इसमें संदेह है।
जनपद बदायूं राजनैतिक रूप से सशक्त है, जनपद में एक केंद्रीय मंत्री, दो लोकसभा सदस्य, तीन विधान परिषद सदस्य और तीन विधान सभा सदस्य हैं, ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष भी बदायूं जनपद के मूल निवासी हैं, इस कारण जनपदवासी पूरी तरह आशान्वित थे कि शासन द्वारा पीड़ितो को आर्थिक सहायता अवश्य प्राप्त होगी, आर्थिक सहायता की सहायता की घोषणा न होने से पीड़ितो के साथ ही नागरिकों में भी निराशा उत्पन्न हो गई है।