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बाल विवाह अपराध है, बच्चों के लिए अभिशाप है – प्रो वंदना

 

मिशन शक्ति विशेष अभियान के तहत “बाल विवाह एक सामाजिक अभिशाप” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन

 

 गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय बदायूं में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई० क्यू०ए० सी०) के तत्वावधान में प्राचार्या डॉ वंदना शर्मा के संरक्षण में व कॉर्डिनेटर आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ व प्रभारी मिशन शक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती के निर्देशन एवं संयोजन में चलाए जा रहे में चलाए जा रहें “मिशन शक्ति विशेष अभियान के तहत आज दिनाँक: 23.06.2022 को “बाल विवाह एक सामाजिक अभिशाप” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसके तहत बाल विवाह के कारणों, निवारणों एवं दुष्परिणामो से छात्राओं को अवगत कराया गया।

 प्राचार्य प्रोफेसर डॉ वन्दना शर्मा ने कहा कि बाल विवाह अपराध है, बच्चों के लिए अभिशाप है। हमारी भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार का विशेष महत्त्व है। वैदिक काल में यह संस्कार पवित्र भावनाओं का परिचायक था, परन्तु परवर्ती काल में इसमें अनेक बुराइयाँ एवं कुप्रथाएँ आ गईं। इन्हीं विकृतियों के फलस्वरूप अनमेल विवाह तथा बाल–विवाह का प्रचलन हुआ, जो कि हमारे सामाजिक–सांस्कृतिक जीवन के लिए घोर अभिशाप बन गया है।

कार्यक्रम संयोजिका असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती ने बताया कि बाल विवाह आज समाज के लिए एक अभिशाप बन गया है। इसे खत्म करने के लिए सभी लोगों को समान रूप से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करानी होगी। सभी लोग इसे रोकने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 कानून भी बनाया है। इस कानून के तहत शादी के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष से ऊपर एवं लड़की की उम्र 18 वर्ष से ऊपर निर्धारित की गई है। यदि इससे कम उम्र में कोई भी अभिभावक अपने बेटे या बेटी की शादी करते हैं तो उनके खिलाफ कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। इस कानून के तहत दो वर्ष की सश्रम कारावास भी दी जाती है। उन्होंने बताया कि कम उम्र में लड़कियां की शादी करने से उनके शरीर में बहुत प्रकार की परेशानी होती है। कम उम्र में मां बनने से मां एवं बच्चा दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कम उम्र में शादी करने से बालिका घरेलू हिंसा का भी शिकार हो जाती है। इसलिए इस अभिशाप को रोकना बहुत ही जरूरी है। उन्होंने बताया कि बेटियां को पूरी तरह से शिक्षित करने के बाद ही उनकी शादी करें। यदि बेटी शिक्षित होती है तो दो परिवार के लोग शिक्षित होते हैं।

उपप्राचार्या डॉ गार्गी बुलबुल ने कहा कि हमारे देश में एक अपरिहार्य सामाजिक बुराई है-छोटी उम्रः में बच्चों की शादी कर देना जो बाल विवाह कहलाता है. इस प्रथा का प्रचलन अधिकतर गाँवों व निम्न और पिछड़े इलाकों में देखा जाता है. भारत में राजस्थान, बिहार व उत्तरप्रदेश में इस तरह के छोटे विवाह अधिक किये जाते है. आज बाल विवाह एक कानूनी अपराध भी है, यह हमारे बच्चों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। हम इस बुराई को रोकने व सामाजिक जागृति लाने में अहम भूमिका निभा सकते है।छात्राओं में पलक वर्मा, अर्चना भारती, राजकुमारी, रजनी, पूनम यादव, रंजना,संगीता आदि की सक्रिय सहभागिता रही।इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

असिस्टेंट प्रोफेसर सरला चक्रवर्ती

प्रभारी मिशन शक्ति/ कॉर्डिनेटर

आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ(आई० क्यू०ए० सी०)

गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय बदायूँ

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जन दृष्टि - व्यवस्था सुधार मिशन

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