JANDRASHTI

चार साला फौजियों के भविष्य को लेकर अभी प्रतिक्रिया देना जल्दबाजी होगी।

 

अभी पूर्णकालिक सेवानिवृत फौजियों के बारे में कुछ बिंदुओं पर चर्चा करना श्रेयस्कर होगा :-
*******************************

केंद्र व राज्य के सभी विभागों में पूर्व सैनिकों को नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था है……

यदि आरक्षण का लाभ प्रदान किया जाता तो हर सरकारी दफ्तर में एक फौजी अवश्य बैठा दिखाई देता, किन्तु ऐसा नहीं है, क्यों कि यदि हर दफ्तर में एक फौजी बैठ गया तो उस दफ्तर की व्यवस्थाएं सुधर जायेगी , सब कुछ बदला हुआ दिखेगा , अनुशासन दिखेगा , नागरिकों को बेहतर सेवा मिल सकेगी, रिश्वतखोरी पर लगाम लगेगी।

इसीलिए फौजियों को आरक्षित पद अन्य वर्ग से भर दिए जाते हैं और फौजी बेचारा बैंक के बाहर बंदूक लिए खड़ा मिलेगा या फिर किसी प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी में गार्ड बन जायगा।

अब फौजी के साथ एक और मजाक देखिए, जिस बंदूक के कारण उसे रोजगार मिलता है उस बंदूक का लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए उसे कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, हर बार एन ओ सी लानी पड़ती है, असलाह ऑफिस में चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है, बाबू कैंटीन से घरेलू सामान भी मगवा लेता है, बोतल बोनस में लेता है। लेकिन निर्देशों के बाद भी फौजियों के लाइसेंस उनके गृह जनपद में दर्ज नहीं किए गए हैं ताकि उनका शोषण किया जा सके।

यह है एक रिटायर्ड फौजी की कहानी, भरोसा न हो तो किसी बैंक के बाहर बंदूक टांगे खड़े फौजी से इन तथ्यों की पुष्टि की जा सकती है।

JANDRASHTI.COM

जन दृष्टि - व्यवस्था सुधार मिशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button