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राष्ट्रीय कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर गोष्ठी का आयोजन।

राष्ट्रीय कवियत्री , स्वतन्तता आन्दोलन में जेल जानें वाली प्रथम महिला, राष्ट्रीय चेतना की प्रतीक, प्रसिद्ध कवियत्री व लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती के उपलक्ष में क्षत्रिय महिला सभा बदायूं के तत्वावधान में जिला संयोजक डॉ उमा सिंह गौर के श्रीराम नगर स्थित आवास पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया ।

गोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं डॉ ममता नौगरैया व डॉ उमा सिंह गौर ने मां शारदे एवम सुभद्रा कुमारी चौहान के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।

डॉ वंदना मिश्रा द्वारा मां शारदे की वन्दना प्रस्तुत की गई की गई ।डॉ शुभ्रा माहेश्वरी, डॉ ममता नौगरैया , डॉ इन्दु शर्मा , सरिता सिंह , ममता ठाकुर , बीना सिंह , डॉ कमला माहेश्वरी , वंदना मिश्रा आदि ने काव्यपाठ किया।

कार्यक्रम संयोजक डॉ उमा सिंह गौर ने सभी कवयित्रियों को पटका पहनाकर व सुभद्रा कुमारी चौहान का चित्र स्मृति चिन्ह के रूपमें भेंट कर स्वागत किया।

अपना काव्य पाठ करते हुए सरिता सिंह ने कहा- “सुभद्रा ने लिखी जो ज़हनों दिल पर , कहानी मुँह जवानी हो गई है,
किया था जिसको भँवरे ने तिरस्कृत ,वो तितली स्वाभिमानी हो गई है ।।
संचालन कर रही डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी ने कहा -” आइये कुछ पंक्तियों को समेटकर नमन हम करते हैं,
सुभद्रा कुमारी चौहान के व्यक्तित्व और कृतित्व को चुनते हैं।
वीर रस की अलख जगाकर जो हमें जगा गई।
ऐसी मां भारती की बेटी की जीवनगाथा को गुनते हैं।।

डॉ. उमा सिंह गौर ने कहा -“हर नारी को सुभद्रा कुमारी चौहान जैसा बनना होगा। जीवन में वीरता का मार्ग चुनना होगा।
डॉ इन्दु शर्मा ने कहा -‘देव तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं। सेवा में बहुमूल्य भेंट के रंग ही आते हैं।
मैं हूं गरीबिनी ऐसी,जो कुछ साथ नहीं लायी। फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने आई।।
ममता ठाकुर जी ने कहा – वीर रस का साक्षात अवतार थीं सुभद्रा ,बचपन बेटी का मिटटी काओ कहकर अपना कर गयी सुभद्रा, सुप्रसिद्ध, कवयित्री लेखिका स्वतंत्रता सेनानी थी सुभद्रा।।

अध्यक्षता कर रहीं डॉ ममता नौगरैया ने सुभद्रा कुमारी चौहान के व्यक्तित्व को इंगित करते हुए कहा – मैं उस देश की बेटी कहलाती हूं ।


डॉ वंदना मिश्रा ने -“आ रही हिमालय से पुकार, है उदधि गरजता बार-बार। प्राची पश्चिम भू नभ अपार। सब पूछ रहे हैं दिग दिगंत वीरों का कैसा हो वसन्त, कविता का सुंदर अर्थ सहित वाचन किया।
बीना सिंह ने सुभद्रा जी की कविता पढ़ते हुए कहा-“चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी,बुंदेलों हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी थी वो झांसी वाली रानी थी।”
डॉ कमला माहेश्वरी ने कहा -“घर की बातें घर में निबटें तो मान हो सभी को, व्यापारी बन आये थे राजा बन तुम बैठे हो।
संस्था की संरक्षिका श्री मती महेशा सिंह ने शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि सुभद्रा कुमारी चौहान एक क्षत्राणी थी आज हम सभी लोग ऐसी कवयित्री को राष्ट्रीय कवयित्री की संज्ञा देने में नहीं हिचकिचायेंगे।

आभार व्यक्त करते हुए डॉ शैलेन्द्र सिंह ने कहा – सुभद्रा कुमारी चौहान एक ऐसी क्षत्राणी थी जो कभी डरी नहीं। एक निडरता , सौम्यता और सरलता उनमें हमेशा देखी गई पर ब्रिटिश सरकार से उनका आमना सामना रहा ।

अंत में कार्यक्रम संयोजक डॉ उमा सिंह गौर ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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