जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के अध्यक्ष/संस्थापक हरि प्रताप सिंह राठौड़ एडवोकेट ने भारत सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश एक चुनाव को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति को नौ सुझाव प्रेषित किए हैं।
एक देश एक चुनाव को लेकर लम्बे समय से चर्चा चल रही है। परन्तु भारत सरकार द्वारा इस दिशा में एक कदम बढ़ते हुए एक समिति गठित की गई। हालांकि समिति के गठन के बाद पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, २०२४ में आम चुनाव के साथ ही लगभग आधा दर्जन राज्यों में विधानसभा चुनाव होगे। इस सम्बंध में भारत सरकार को सुझाव भी प्रेषित किया गया था कि वर्ष २०२३ एवम २०२४ मे होने वाले विधानसभा चुनाव एवम आम चुनाव एक साथ कराएं जा सकते हैं।
एक देश एक चुनाव से लोक धन का अपव्यय रुकेगा साथ ही सरकारी मशीनरी का समय बचेगा। भारत निर्वाचन आयोग पर लोकसभा, विधानसभा चुनाव के साथ ही राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव कराने की जिम्मेदारी है। इन चुनावों के अतिरिक्त देश में पंचायत चुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव एवम सहकारिता के चुनाव राज्य सरकारों द्वारा गठित निर्वाचन आयोग द्वारा सम्पन्न कराएं जाते है। भारत निर्वाचन आयोग के होते हुए सभी राज्यों में राज्य निर्वाचन आयोग, सहकारी निर्वाचन आयोग गठित हैं। भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची अलग है और राज्य निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची अलग है। दोनों आयोगों की मतदाता सूचियों में मतदाताओं की संख्या मे भी अन्तर है।
एक देश एक चुनाव के साथ ही एक चुनाव आयोग – एक मतदाता सूची पर भी कार्य करना होगा।
इस सम्बंध में निम्न सुझाव प्रेषित हैं :-
१- राज्य सरकारों द्वारा गठित राज्य निर्वाचन आयोग, सहकारी निर्वाचन आयोग समाप्त किए जाए।
२- भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव, सहकारिता चुनाव संपन्न कराएं जाए।
३- भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायतों, स्थानीय निकायों में वार्ड वार मतदाता सूची तैयार कराई जाए।
४- सहकारी समितियों की मतदाता सूची भी भारत निर्वाचन आयोग तैयार करे।
५- संविधान में संशोधन कर मध्यावधि चुनाव की व्यवस्था को समाप्त की जाए साथ ही पांच वर्ष अथवा निर्धारित कार्यकाल के पूर्व चुनाव न कराने की व्यवस्था बने।
६- लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराएं जाए।
७- पुरे देश में पंचायत चुनाव और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ सम्पन्न कराएं जाए।
८- स्थान रिक्त होने पर उपचुनाव के स्थान पर मनोनयन की व्यवस्था हो।
९- केन्द्र/राज्य सरकार के अल्पमत में होने पर सबसे बडे़ दल के नेता को प्रधानमन्त्री/मुख्यमंत्री बनाते हुए सभी दलों का सरकार में प्रतिनिधित्व हो।