विश्व श्रमिक दिवस पर विशेष:-
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दस लाख से अधिक अधिवक्ता लिपिकों के परिवारों की चिंता करे केंद्र/ राज्य सरकार।
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देश में दस लाख से अधिक वकील हैं, इतने ही उनके क्लर्क है, टायपिस्ट हैं। दस लाख से अधिक परिवारों के मुखिया अधिवक्ता लिपिक हैं। तहसील न्यायालय, जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय सहित जहां भी अधिवक्ता विधि व्यवसाय कर रहे हैं, वहां उनके साथ लिपिक भी है।
अधिवक्ता लिपिक को विधिक मान्यता प्राप्त है, उनका विधिवत पंजीकरण किया जाता है, समय समय पर नवीनीकरण भी होता है। किंतु दुर्भाग्य का विषय है कि इनकी ओर आज तक किसी भी राजनैतिक दल, जन प्रतिनिधि व केन्द्र/ राज्य सरकार की दृष्टि नहीं पड़ी, इनके कल्याण के लिए कोइ योजना नहीं बनाई गई।
आज विश्व श्रमिक दिवस है। सम्पूर्ण विश्व में श्रमिकों को लेकर श्रमिक संगठन विचार विमर्श करेंगे, श्रमिक हितार्थ अनेक मुद्दों पर चर्चा होगी। किंतु अधिवक्ता लिपिक कभी भी श्रमिक दिवस पर होने वाली चर्चाओ का हिस्सा नहीं बन सकें। अधिवक्ता लिपिक न्याय तन्त्र का ही अंग है। ये श्रमिक की तरह कठोर परिश्रम करते हैं, श्रमिक का कार्य करने का समय निर्धारित है, लेकिन इनका कार्य करने का समय निर्धारित नहीं है, और निर्धारित किया भी नहीं जा सकता है।
श्रमिकों के कल्याण हेतु संचालित योजनाओं से अधिवक्ता लिपिकों को भी आच्छादित किया जाना आवश्यक है। श्रम कानूनों के तहत इनका भी पंजीकरण अनिवार्य किया जाए। अधिवक्ता लिपिकों को चिकित्सा, शिक्षा, बीमा, आवास योजनाओं का लाभ प्रदान किया जावे। अधिवक्ता लिपिकों की पुत्रियों के विवाह हेतु सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करे।
जय हिंद !
हरि प्रताप सिंह राठोड़
अधिवक्ता
अध्यक्ष/संस्थापक
जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन)
9539162424