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शिक्षा विभाग में प्रमोशन या विभागीय परीक्षा के माध्यम से शिक्षक ही बनाए जाए अधिकारी।

प्राथमिक शिक्षा के सुधार हेतु सरकार बनाए नीति।

शिक्षक दिवस के अवसर पर जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान में प्राथमिक शिक्षा तन्त्र में सुधार हेतु तीन सुत्रीय मांग पत्र जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री को प्रेषित किया गया।

इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के संस्थापक/अध्यक्ष हरि प्रताप सिंह राठोड़ एडवोकेट ने कहा कि उच्च शिक्षा के विस्तार मे संलग्न केन्द्र व राज्य सरकार प्राथमिक शिक्षा के प्रति उदासीन है। प्राथमिक विद्यालयों में पांच कक्षाएं संचालित हैं, किंतु पांच शिक्षक नहीं है, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विषयवार शिक्षक नहीं है, प्रधान शिक्षक नहीं है, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व स्वच्छक नहीं है। सरकार भवन के कायाकल्प पर, विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण व कार्यक्रमों पर बड़ा बजट खर्च कर रही है, किंतु शिक्षा की सबसे बड़ी आवश्यकता शिक्षक है और शिक्षकों की कमी दूर करने हेतु प्रयास नहीं चल रहे हैं। प्राथमिक शिक्षा के निरीक्षण की जिम्मेदारी गैर शिक्षको पर है। जिस प्रकार चिकित्सा विभाग में सभी जिला, मंडल, प्रदेश स्तरीय अधिकारी चिकित्सक हैं, लोक निर्माण/विद्युत/सिंचाई विभाग में सभी आधिकारी अभियंता हैं उसी प्रकार शिक्षा विभाग में भी सभी खंड, जिला, मंडल व प्रदेश स्तर के अधिकारी भी शिक्षक होने चाहिए इसके लिए सरकार प्रमोशन अथवा विभागीय परीक्षा के माध्यम से शिक्षकों में से ही अधिकारियों की नियुक्ति हेतु नीति बनाए। ताकि अभिभावक निजी विद्यालयों की ओर आकर्षित न हो।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से मार्गदर्शक धनपाल सिंह, संरक्षक एम एल गुप्ता, सुरेश पाल सिंह, केंद्रीय कार्यालय प्रभारी रामगोपाल, सह केन्द्रीय कार्यालय प्रभारी अखिलेश सिंह, प्रदेश समन्वयक डॉ सुशील कुमार सिंह, जिला समन्वयक सतेंद्र सिंह गहलौत, सह जिला समन्वयक महेश चंद्र, समिरुद्दीन एडवोकेट, प्रमोद कुमार, वीरेन्द्र कुमार, नेत्रपाल , सुनील कुमार आदि उपस्थित रहे।

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जन दृष्टि - व्यवस्था सुधार मिशन

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