तुम ही तो हो जो, हमें अक्षरों से खेलना सिखायें शब्दों की माला पिरोकर भावनाओं को महसूस करना सिखाए।
तुम ही तो हो, जो हमें हमसे साक्षात्कार करायें जीवन पथ पर कांटों से भरी राहों पर हंसकर चलना सिखाए ।
तुम ही तो हो, जो हममें उन सतरंगी रंगों के हुनर को भरते इस हुनर के पंखों से देश में विकास की राह बनवाते ।
तुम ही तो हो जो हमें मानव,
मानवता की पाठ पढ़वाते, इंसानियत की सीख सिखला कर अच्छे नागरिक बनवाते ।
तुम ही तो हो जो हमें कवि, लेखक ,इंजीनियर, डॉक्टर प्रबंधक ,नेता, अभिनेता, संत, त्यागी , इंसान, बनवाते।
तुम ही तो हो, जो हमें जीने की कला सिखाएं ,अपनों के बीच रहकर अपनापन , राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत कराते ।
तुम ही तो हो जो दो नदियों पर पुल बनवाते लोगों के बीच की दूरियां मिटवाते राष्ट्र स्तंभ निर्माण हेतु देशभक्त बनवाते।
स्वरचित विभा कुमारी सिन्हा
जमशेदपुर झारखंड