November 22, 2024

मौजूदा जीवन में अहिंसा बहुत प्रासंगिक है: डा. धींग

 

नन्हीं पाखी जैन ने लिया डॉ धींग का साक्षात्कार

 

उदयपुर, 24 मई (विसं) । साहित्यकार डा. दिलीप धींग ने कहा कि मौजूदा परिवेश में अहिंसा अधिक प्रासंगिक हो चुकी है। इसलिए साहित्यकारों को अपने लेखन में अहिंसा, करुणा और शाकाहारिता का समावेश करना चाहिये। बच्चों की त्रैमासिक पत्रिका ‘बालप्रहरी’ (उत्तराखंड) की ओर से 23 मई शाम आयोजित ऑनलाइन साक्षात्कार में बतौर विशिष्ट अतिथि उन्होंने कहा कि शाकाहार एक मानवीय विमर्श प्लास्टि है, जिससे अच्छी सेहत, स्वच्छ पर्यावरण, सह-अस्तित्व और पशु पक्षियों के प्रति नैतिकता जैसे जरूरी विषय जुड़े है। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए आकाश सारस्वत शिक्षा उपनिदेशक उत्तराखंड ने साक्षात्कार विधा के बारे में बताया।

बाल साहित्य संस्थान के सचिव और बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने कहा कि बच्चों को प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करने के लिए बच्चों से ही कार्यक्रम का संचालन कराया जाता है। अब तक विभिन्न विषयों और विधाओं में 405 बाल कार्यक्रम किये जा चुके हैं।

406वें साक्षात्कार कार्यशाला का संचालन उदयपुर (राजस्थान) की पांचवीं कक्षा की छात्रा पाखी जैन ने किया। पाखी ने डॉ. धींग का साक्षात्कार लिया जबकि कक्षा 7 की छात्रा मुग्धा शर्मा (देहरादून) ने डा. विजेन्द्रपाल शर्मा से साक्षात्कार लिया। पाखी द्वारा पूछे प्रश्न के उत्तर में डा. धींग ने बताया कि उनकी माता उमरावदेवी धींग उनके सृजन की मूल प्रेरणास्रोत रही। उन्हीं की स्मृति में नए लेखकों को ‘उमरावदेवी धींग साहित्योदय पुरस्कार’ दिया जाता है। इसी प्रकार राजस्थानी लेखन के लिए 2005 से ‘कन्हैयालाल धींग पुरस्कार’ निरंतर दिया जा रहा है।

 पाखी के एक प्रश्न के उत्तर में डा. धींग ने कहा कि विवेक, मर्यादा, प्रयोजन और आज्ञा के साथ उपयोग करें तो सबके लिए मोबाइल वरदान है। प्रथम वर्ष के छात्र प्रणत धींग ने ‘कम खाना, गम खाना, नम जाना’ कविता सुनाई। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्यामपलट पांडे ने अपने विचार रखते हुए शाकाहारी जीवन की वकालत की। डा. अशोककुमार नेगी ने आभार जताया।

देश के विभिन्न राज्यों से अभिभावक समिति के प्रतिनिधि मंगल कुमार जैन, गंगा आर्या, प्रकाश पांडे, सुमित शर्मा, प्रशांत मुद्गल,किरण गुरुरानी, नीलम शर्मा, दीपा अनमोल आदि कई साहित्यकार जुड़े और पाखी जैन के आत्मविश्वास से भरे संचालन की बहुत सराहना की।

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