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बने राष्ट्रभाषा हिंदी अब, यह प्रण लेना आज है। काम -काज सब हों हिंदी में ,चाहे यही समाज है।

हिंदी दिवस पर विशेष

      हिंदी से पहचान हमारी…..

जन-जन की है प्यारी भाषा, हिंदी ही स्वरगान है।
हिंदी से पहचान हमारी, यह मेरा अभिमान है।।

माँ के ममता के जैसी है ,बिंदी जैसे भाल है।
कविता का सौंदर्य यही है, अक्षर करें कमाल है।।
सात सुरों में इसे सजाकर, गाऊँ गौरव गान है।
हिंदी से पहचान हमारी,यह मेरा अभिमान है।।


शब्द कोष संबृद्ध बहुत है, भरा हुआ भंडार है।
अविरल धारा बहती इसकी ,होती जय -जय कार है।।
गाते सूर कबीरा तुलसी, हिंदी वह वरदान है।
हिन्दी से पहचान हमारी,यह मेरा अभिमान है।।

बने राष्ट्रभाषा हिंदी अब, यह प्रण लेना आज है।
काम -काज सब हों हिंदी में ,चाहे यही समाज है।
अंग्रेजी की छोड़ गुलामी ,देना अब सम्मान है।
हिंदी से पहचान हमारी ,यह मेरा अभिमान है।।

अंतर्मन में पलते सब जो, आते सदा विचार हैं।
उन भावों को व्यक्त करें ये,मानो सब उपकार है।।
तिरस्कार अब नहीं सहेंगे, बहुत हुआ अपमान है।
हिंदी से पहचान हमारी ,यह मेरा अभिमान है।।

✍️मधुप्रिया चौहान , बदायुँ, उत्तर प्रदेश !

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जन दृष्टि - व्यवस्था सुधार मिशन

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