विषय -“आज की नारी “
विधा- कविता
क्यों समझा इसे बेचारी है,
इसने ना हिम्मत हारी है l
हर परीक्षा में जो ,सफल रही
वह आज की सबला नारी है l
दो कुलों करती रोशन है ,
क्यों होता इसका शोषण है l
दुनिया में जब ये आती है ,
ना होता कोई आयोजन है l
चिंगारी जब ये बन जाती,
गाथा गौरव की दोहराती
कल्पना चावला बनकर ये
तारामंडल तक भी जाती।
झांसी की रानी बन जाती है,
दुश्मनों को धूल चटाती है।
मुसीबत में ना घबराती
भारत की शान बढ़ाती है ।
दुख -दर्द सहन कर जाती है ,
फिर भी ये चुप रह जाती है
बेटा-बेटी में अंतर क्यों?
बेटी भी मान बढ़ाती है ।
मायके- ससुराल जब जाती है ,
बेटी- बहू का रूप निभाती है ।
मां -बाप से कहती, सुख से हूँ
और अपने दर्द छुपाती है।
ये नारी है नारायणी, नारी कुदरत की देन है।
बिन नारी घर मंदिर नहीं
क्यों छीना इसका चैन है ?
इस नारी का सम्मान करो
जो मानव का निर्माण करें
ये “माता निर्माता भवति “
इन तथ्यों की पहचान करें।
इन तथ्यों की पहचान करें ।
स्वरचित कविता
मौलिक एवं अप्रकाशित
मीनाक्षी शर्मा (संस्कृत अध्यापिका) जिला -कुरुक्षेत्र( हरियाणा)