नारी तुम नारायणी नमोस्तुते वंदन
होती उसकी बरकत नारी रखती मान
नवरात्रि के रूप समाहित देवी स्वरूपा
सौभाग्य उनका बनता उनका जीवन
जिनके आंगन खिलती बेटी मां रूपा
संस्कार की खान है मत करो अपमान
नारी को दिल पर लेती मिटता है अंधकार
कमजोर नहीं अकेली होकर रखतीउसका ध्यान
श्री मती कल्पना विजय शाह
कुक्षी, जिला धार मध्यप्रदेश