JANDRASHTIउत्तर प्रदेश समाचार

गूगल मीट द्वारा “वसंती हवा, आज़ादी की फिजा” नामक कार्यक्रम नवकृति साहित्य मंच की संस्थापिका अलका गुप्ता ‘अलकाकृति’ की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

गणतंत्र दिवस व वसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर नवकृति साहित्य मंच के तत्वाधान में गूगल मीट द्वारा “वसंती हवा, आज़ादी की फिजा” नामक कार्यक्रम नवकृति साहित्य मंच की संस्थापिका अलका गुप्ता ‘अलकाकृति’ की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में सतीश लोढ़ा के कार्यक्रम वाह भाई वाह से लौटे हरदोई के कवि व व्यंगकार सतीश शुक्ला विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ बलिया की कवयित्रि विभा रंजन सिंह की वाणी वंदना द्वारा किया गया। अलकाकृति के संचालन में सर्वप्रथम उदयपुर के कवि सागर मल सर्राफ ने “बांध लू बाहों में धरती,चूम लूं आकाश को। प्राण से प्यारा समझता,देश के विश्वास को” पंक्तियां पढ़कर वाह वाही बटोरी। इसके बाद हरदोई के शशिकांत दीक्षित ‘व्यथित’ ने “खर्च वैलिडिटी हो गयी तेरे जीवन की,आएगी जब काल विधाता के घर की गीत पढ़कर सबका ध्यानाकर्षण किया। झारखंड से कवियित्रि स्मिता पाल ‘ साईं स्मिता’ ने भारत की हम संतान है,जातिवाद से हम है परे, हिंदुस्तान में ही जान है कविता पढ़कर सबका मन मोहा। वही हरदोई के कवि गीतेश दीक्षित ने मुझको मजबूरियां ले तो आई सहर गांव की याद हमको रुलाती रही,बारिशों में जो बरसे है बादल कभी नाव बचपन की हमको बुलाती रही ग़ज़ल के शेर पढ़कर खूब वाह वाही लूटी।

हैदराबाद से रमा बहेड ने वन्दे मातरम बोल उठा मरता हुए जवान पंक्तियां पढ़ी साथ ही सखी रे देखो आई वसंती फुहार पढ़कर वसंत का भी आवाहन किया। इसके बाद जयपुर,राजस्थान की कवियित्री मीता लुनिवाल ने “देखो बसंत ऋतु आई, नए नए फूलों को लाई” पंक्तियां पढ़ी। खगड़िया बिहार से संगीता चौरसिया ने “लौटो की तुम बिन उदास जहाँ, तेरे जाने से बदहवास है जहाँ” पंक्तियों से समां बांधा।मुजफ्फरपुर बिहार की कवियित्रि हेमा सिंह ने भी “हम रहें न रहे, देश हमारा रहे, यूँ ही आबाद मेरा तिरंगा रहे पढ़कर वाह वाही लूटी। वहीं बलिया की कवियित्रि विभा रंजन सिंह ने cds विपिन रावत को याद करते हुए “बुझा दीप वो ऐसे, कि अब बिखरा अंधेरा है, निशा कबकी गयी फिर भी , न हो पाया सवेरा है ” देशभक्ति की पंक्तियां पढ़कर खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि व्यंगकार सतीश शुक्ल ने “जब जब भीष्म पितामह अपनी शक्ति क्षीण कर सोता है,द्रुपद सुता की तरह देश तब ढ़ाहें देकर रोता है” देश की स्थिति पर व्यंग कर जागृत होने का आवाहन किया। कार्यक्रम के अंत मे संचालन कर रही अलकाकृति ने “मेरे भारत की माटी ही, मुझे वन्दन सी लगती है,जो जय बोले वतन की, तो स्पंदन सी लगती है” देशभक्ति के छंन्द पढकर समां बांधा। अलकाकृति ने बताया कि नवकृति साहित्य मंच द्वारा अब तक तीस काव्यगोष्ठियीं का आयोजन किया जा चुका है, आज यह यह इकत्तीसवां कार्यक्रम है। अंत मे उन्होने विशिष्ट अतिथि, व सभी कवियों कवयित्रियो का सफल आयोजन की शुभकामनाएं देते हुए आभार व्यक्त किया।

JANDRASHTI.COM

जन दृष्टि - व्यवस्था सुधार मिशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button