उत्तर प्रदेश समाचारगोष्ठी

प्रकृति फाउंडेशन मेरठ के तत्वाधान में जल है तो कल है विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित।

प्रकृति फाउंडेशन मेरठ के तत्वाधान में उपाध्यक्ष डॉ ममता नौगरैया के संरक्षण में डॉ शुभ्रा माहेश्वरी के आवास पंजाबी चौक शेखपट्टी में जल है तो कल है विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित।


गत दिवस प्रकृति फाउंडेशन मेरठ के तत्वाधान में उपाध्यक्ष डॉ ममता नौगरैया के संरक्षण में डॉ शुभ्रा माहेश्वरी के आवास पंजाबी चौक में जल है तो कल है विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसकी मुख्य अतिथि रहीं अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री डॉ कमला माहेश्वरी ।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ ममता नौगरैया, डॉ निशि अवस्थी, सरला चक्रवर्ती, डॉ उमा सिंह गौर, डॉ शुभ्रा माहेश्वरी के द्वारा सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष अक्षत रोली से तिलक व पुष्पार्पण कर किया गया।
डॉ. निशि अवस्थी ने कविता के माध्यम से जल है तो कल है को समझाया -“आज ना हुआ संरक्षित जल, मुश्किल होगा मिलना कल ,सोचना हर क्षण हर पल है, बूंद बूंद करना संचय जल है ।”


श्री मती सरला चक्रवर्ती ने कहा – हमें शर्मोहया त्याग कर आगे आना होगा पानी का संचय करना होगा । बरसात का जल इकट्ठा कर अपने दैनिक जीवन में उपयोग करना होगा।“ जल है तो कल है , क्योंकि जल से ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। आज मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है। बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है।

डॉ. कमला माहेश्वरी ने कहा – सृष्टि का प्रारंभ मत्स्य व कच्छपावतार का उदाहरण देते हुए यूरोप में स्वयं पानी की कमी झेलने के प्रसंग बताये।


प्रकृति फाउंडेशन की उपाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ ममता नौगरैया ने कविता में कहा -पानी रे पानी तू कैसा पानी, इंसान था नादान खूब पानी बहा की मनमानी ,कदम कदम छलता गया पानी ,पानी का करे हम सम्मान तभी देशा होगा महान्।भबिष्य बचाना है तो जल होगा बचाना क्योंकि पानी है सोना, इसको कभी नहीं है खोना ,पानी रे पानी तू कैसा है पानी, तू बनाए रोज एक नयी कहानी ।”


संचालन कर रही डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी ने कहा – “जल नहीं होगा तो जल जायेंगे” बचपन में सोत नदी में पानी था , सहसवान के सरसौते मे पानी था , दंड झील थी पर आज सब कुछ सूखा है पर हम अपने बच्चों को प्रेरित कर सकते हैं कि जल होगा तभी तो कल होगा।”
डॉ उमा सिंह गौर ने कहा – “आज आवश्यकता है पानी को किफायत से खर्च करने की व लोगों तक पहुंचाने की । नगरपालिका की टोंटी खुली है तो डाट लगाकर हम ही पहल कर सकते हैं।”
भुवनेश कुमार की गरिमामयी उपस्थिति रही।अंत में सभी को प्रकृति मंथन पुस्तक डॉ ममता नौगरैया द्वारा भेंट की गयी।

• डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी
कवयित्री/ मंच संचालिका
बदायूं

JANDRASHTI.COM

जन दृष्टि - व्यवस्था सुधार मिशन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button