November 21, 2024

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कविता

नारी जीवन, तेरी कहानी
बड़ी निराली, बड़ी बेगानी||
कभी है अबला कभी है सबला,
कभी है दाता कभी विधाता।।
कभी है तुच्छ प्राणी,
नारी जीवन ,तेरी कहानी।।


बड़ी निराली, बड़ी बेगानी,
बेटी बन घर की इज्जत बनाती,
बहु बनकर पति का घर संभालती ।।
बेटी, बहन, बहु और माँ का किरदार निभाती।
खुद को सुंदर, घर को और सुंदर बनाती।।
संतान के लिए बनती है रक्षक ,
दुष्ट के लिए बनती वह भक्षक ।।
दुर्गा,लक्ष्मी ,सरस्वती इन तीनो रूप में जागती,
क्रूर समय चंडी बन सकती, द्वेष में अम्बा का रूप धारती।।


दुनिया की आधी आबादी संघर्ष करती है।
अपने बजूद के लिए हर पल लड़ती है।।
प्रतिपल अग्नि में जलकर स्वर्ण बनती है ।
खुद जल करके अपने घर व दुनिया रोशन करती है।।
नारी तेरी यही कहानी ,
बडी निराली बड़ी बेगानी।।

स्वरचित
चंचल उपाध्याय
(प्रधानाध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय कोट,बिसौली
बदायूँ

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