November 23, 2024

मैं कौन हूँ ?

अपने अस्तित्व को तलाशती,

निःशब्द हूँ, मौन हूँ ।

क्या मै पथिक हूँ ?

जीवन पथ पर बढती हुई,

कहीं रूकती हुई,

कभी चलती हुई,

प्रेम की ठंडी छाँव,

ढूँढती ,नहीं थकती हुई,

मखमली, कटीली ,

हर राह पर चलती हुई,

हाँ, शायद पथिक हूँ मैं ।

मैं कौन हूँ ?

अपने अस्तित्व को तलाशती,

निःशब्द हूँ, मौन हूँ ।

क्या मै प्रेम हूँ ?

जीवन पथ पर बढती हुई,

प्यार बाँटती,

बटोरती हुई,

रिश्तों में अपना वजूद,

ढूँढती हुई,हँसती हुई,

रसीले,कटीले,

हर रिश्ते को सँभालते हुए,

हाँ, शायद प्रेम हूँ मैं ।

मैं कौन हूँ ?

अपने अस्तित्व को तलाशती,

निःशब्द हूँ, मौन हूँ ।

क्या मैं नदी हूँ ?

जीवन पथ पर बढती हुई,

कभी मचलती हुई,

कभी ठहरती हुई,

किनारा ढूँढती हुई,

लहराती हुई,

बलखाती हुई,

हर कश्ती को बचाती हुई,

हाँ , शायद नदी हूँ मैं ।

मैं कौन हूँ ?

अपने अस्तित्व को तलाशती,

निःशब्द हूँ, मौन हूँ ।

क्या मै स्त्री हूँ ?

जीवन पथ पर बढती हुई,

कभी हँसती,

कभी रोती हुई,

ममता की ठंडी छाँव,

देती हुई,कभी माँ बनती,

कभी पत्नी, कभी बेटी बन ,

प्यार बाँटती हुई,

हर किसी के अस्तित्व

को सँवारती हुई,

सृजन और पोषित,

करती हुई,सिर्फ देती रही,

हाँ, मै स्त्री ही हूँ ।

मैं कौन हूँ ?

अपने अस्तित्व को तलाशती,

निःशब्द हूँ, मौन हूँ ।

हाँ, मै स्त्री ही हूँ ।

संपूर्ण, सृष्टि की सृजनहार,

नव अंकुर की पालनहार,

वात्सलय व प्रेम की मूर्ति,

रिश्तों की स्फूर्ति,

नैसर्गिक कलाकार,

प्रकृति का उपहार,

हाँ, मै स्त्री ही हूँ …

                    वंदना ‘शरद

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