*अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस*
जीवन को बांधने वाली डोर हो तुम
इस युग का आधार हो तुम
हे नारी तुम जीवन हो
हर नर की पहचान हो तुम
आज है, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
दिल से तुम कर लो नारी का सम्मान..
फूलों जैसी कोमल नारी
पर कितना सहती नारी
हर रिश्ते की लाज बचाती हु,
घर-घर खुशियाँ लाती हूँ
गर्व मुझे है, कि मैं नारी हूँ..
जिस घर में तुम रहती हों
हरियाली ही हरियाली है,
हर जंजीरों को तोड़ तुम
आसमान को छूती हों
गर्व मुझे हैं, की मै नारी हूँ ..
मन ही मन रोती हैं
फिर भी बाहर से हॅंसती हों
मैं किसी से कम नहीं,
सबको ये बतलाती हूँ
गर्व मुझें हैं, कि मैं नारी हूँ…..
हे नारी तुझपें क्या लिखूँ,
तु तो सबको लिखती हैं
अपना सर्वास्व निछावर कर
घर में खुशियाँ लाती है
गर्व मुझे हैं, कि मैं नारी हूँ….
स्वरचित
प्रतिभा त्रिपाठी
शिक्षिका
भिलाई