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मिशन शक्ति विशेष अभियान के तहत 1857 के महान विद्रोह में महिलाओं की भूमिका विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
आज दिनाँक 10.05.2022 को गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय बदायूँ की आई क्यू ए सी के तत्वावधान में चलाए जा रहें “मिशन शक्ति विशेष अभियान” के तहत आज दिनाँक- 10:05:2022 को “1857 के महान विद्रोह में महिलाओं की भूमिका” विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या डॉ वंदना शर्मा के संरक्षण में माँ शारदे को नमन कर किया गया।
छात्राओं को संबोधित करते हुए प्राचार्या डॉ वंदना शर्मा ने बताया कि आजादी की लड़ाई में महिलाओं की भूमिका भी पुरुषाें से कम नहीं रही। उन्हाेंने स्वतंत्रता संग्राम में पुरुषाें के साथ ही कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजाें का सामना किया और देश काे आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 में पुरुषों की संघर्षशील भूमिका के मध्य, महारानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल, रानी चेन्नमा आदि वीरांगनाओं के साहस और सक्रिय योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उपप्राचार्य डॉ गार्गी बुलबुल ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास महिलाओं के योगदान का उल्लेख किए बिना अधूरा होगा। भारतीय महिलाओं द्वारा दिया गया बलिदान सर्वोपरि है।उन्होंने सच्ची भावना और अदम्य साहस के साथ लड़ाई लड़ी और हमें आजादी दिलाने के लिए विभिन्न कठिनाइयों का सामना किया। मिशन शक्ति कार्यक्रम सह संयोजक डॉ इन्दु शर्मा ने बताया कि जब अधिकांश पुरुष स्वतंत्रता सेनानी जेल में थे तो उस समय महिलाएं आगे आईं और संघर्ष की कमान संभाली।और देश को आजाद कराने में अपनी जान की बाजी लगा दी।डॉ शिखा पांडेय, डॉ शिल्पी तोमर,डॉ शालू गुप्ता ने बताया कि रानीलक्ष्मी बाई, माता भाग कौरी, ओनाके ओबाव्वा, केलाडी चेन्नम्मा, बेलावाड़ी मल्लम्मा, अब्बक्का रानी, सरोजिनी नायडू, उदा देवी, उमाबाई कुंडापुर, बेगम हजरत महल, अज़ीज़ुन बाई, झलकारी बाई, रानी अवंतीबाई, रानी वेलु नचियार, कित्तूर चेन्नम्मा, लक्ष्मी सहगलऔर रानी दुर्गावती ,अरुणा आसफ अली आदि ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई। डॉ शुभी भाषीन, डॉ शिल्पी शर्मासहित समस्त महाविद्यालय परिवार का सहयोग रहा। छात्रा शिखा पटेल, सौम्या सक्सेना आदि की सक्रिय सहभागिता रही।