गिंदो देवी महिला महाविद्यालय बदायूं ,आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में प्राचार्या प्रोफेसर गार्गी बुलबुल के निर्देशन में तमिल कवि सुब्रमण्य भारती के जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा उत्सव दिवस मनाया गया।महाविद्यालय परिसर में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया ।जिसमें प्राचार्या डॉक्टर गार्गी बुलबुल ने महान कवि सुब्रमण्यम भारती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुब्रह्मण्य भारती एक तमिल कवि थे।
उनको ‘महाकवि भारतियार’ के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। वह एक कवि होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार तथा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु समान थे। राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर इति अधिकारी ने बताया कि भारती जी का जन्म भारत के दक्षिणी प्रान्त तमिलनाडु के एक गांव एट्टयपुरम् में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय में ही हुई। मेधावी छात्र होने के नाते वहां के राजा ने उन्हें ‘भारती’ की उपाधि दी। जब वे किशोरावस्था में ही थे तभी उनके माता-पिता का निधन हो गया था।बाद मे वे उच्च शिक्षा के लिए बनारस चले गए ,जहां उन्होंने कई वर्षों तक अध्ययन से जुड़े रहे।राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ अनीता सिंह में जयंती के अवसर बताया कि बनारस प्रवास की अवधि में उनका हिन्दू अध्यात्म व राष्ट्रप्रेम से साक्षात्कार हुआ।
वे भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में पूरी तरह जुड़ चुके थे और उन्होने पूरे भारत में होने वाली कांग्रेस की सभाओं में भाग लेना आरम्भ कर दिया था। भगिनी निवेदिता, अरविन्दऔर वंदे मातरम् के गीत ने भारती के भीतर आजादी की भावना को और पल्लवित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार की सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं ।